मंज़र


 ग़र सबके बाद यह मंज़र मिले

तो ऐ ज़िंदगी, तेरे सारे सितम मंज़ूर हैं

जानती तो नहीं कि कहा रहता है खुदा

पर यक़ीनन ,इस धरती पे यह जन्नत ज़रूर है।



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