सितारे
मंज़िल तो छोड़ आये कहीं पीछे, कई मीलों दूर
ज़माना क्या कहेगा , बस चलते रहे ब-दस्तूर,
थोड़ा समझौता कर लिया उस दिन हमने भी
थोड़ा फुसला लिया अपने दिल को भी
आज वो कहते है आबाद है हम, यक़ीनन
उन्हें क्या बताएं ,मुसाफिर थे तब ,मुसाफिर ही रहे हम
गुज़रे थे कुछ लम्हें, बेगाने हुए थे सितारे
थोड़े कुछ हमारे ,थोड़े कुछ तुम्हारे
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